उदयपुर हत्या कांड
उदयपुर हत्या कांड उदयपुर में दिन दिहाड़े निर्मम हत्या बहुत ही गम्भीर अमानवीय घटनाक्रम है। इसकी जितनी भी निंदा व भर्त्सना की जाय उतनी ही कम है। सभ्य समाज मे ऐसे पशु प्रकृति वाले हत्यारें व आतंकवादियों का कोई स्थान नही। अपराधी सिर्फ अपराधी ही होता है। हमारे संविधान व कानून व्यवस्था में दोषियों से निपटने के लिए सब प्रावधान है। नफरती आग फैलाने वालों की जंगल कानून का कोई स्थान नही है। मैं इतिहास से तब संवाद करता हुँ जब मैं flashback में आप को ले जाता हूँ क्योंकि वर्तमान के सच को न आप सुनते हैं और न ही उस पर भरोसा करते हैं। तो flashback के सच से वर्तमान के परिणाम को खुद साबित कर लें। ऐसा माहौल पैदा कैसे हुआ यह निहायत चिंता का विषय है। तब flashback में ही चला जाय। आज जो माहौल है उसे किसने बिगाड़ा है? पहलू खान की हत्या हुई। कमलेश तिवारी की हत्या हुई। समाज मे ऐसे नफरती लोगों के कारण ही नफरत की चरम आग फैलाई जाती है जिस कारण गोरखपुर में पुलिस द्वारा मनीष गुप्ता की निर्मम हत्या और सिपजर आसाम में पुलिस द्वारा ही मारे गए मोइनुल हक़ के लाश पर फोटोग्राफर बिनोय बानिया का उन्मादित होकर अमानवीय ...