अबकी बार NOTA दबेगा बारम्बार

मोदी जी ने 2014 में ढेर सारे सपने दिखाए थे और दिन, महिने और साल का झांसा देकर कुल मिला कर 5 साल का वक्त माँगा था कि देश की कुछ बुनियादी जरूरतों पर ठोस व दिखने वाला काम किया जायगा।
वह बुनियादी मुद्दे क्या थे?
1. रोजगार 2. शिक्षा 3. महंगाई 4. किसानों की समस्या
5. सामाजिक सुरक्षा 6. महिला सुरक्षा 7. कश्मीरी पंडितों की घर वापसी 8. जेएंडके में धारा 370 को हटाना 9. भ्रस्टाचार मुक्त भारत 10. गरीबों (बीपीएल) के लिए सुविधाओं का उचित प्रावधान.......

मुझे तो क्या देश मे सभी ठीक ठाक सोच रखने वाले मोदी जी से यही सवाल कर रहे है कि उपरोक्त बुनियादी मुद्दों पर क्या काम हुआ? हाँ या ना?
जवाब तो ना ही है भाई।

भाजपा के कर्मठ जुझारू ईमानदार कार्यकर्ता व भ्रम ग्रसित अफीमी भक्त इसे व्यक्तिगत ना लें, इसमें कोई बेइज्जती और शर्म वाली बात नहीं है।

इसमें हम सबका कोई कसूर नहीं है। हम 2014 के चुनाव के एक झूठे के महाजाल मे फंस गये थे लेकिन दोबारा यदि झांसे मे आये तो उसे मंदबुद्धि ही कहा जायेगा ! समय रहते हुए भ्रम के भागीदारी से बचने में ही समझदारी है क्योंकि भाजपा में अब केवल अंधभक्त ही बचे है।

भाजपा ने तो हिन्दू मुस्लिम ध्रुवीकरण, मन्दिर मस्जिद और जाति की राजनीति से पूरे देश को असली मुद्दों से भटकाने का काम करके 5 साल गुज़ार दिए।

मुझे वह 2014 का दौर याद आ रहा है जब लोग कहते थे, मोदी देश का काया-कल्प करेगा। बाकी लोगो की तरह मैंने भी इस सपने बेचने वाले मोदी पर भरोसा किया था।

तो क्या पाया?

दूसरों का जुर्म गिना गिना कर मोदीजी ने अपने वादा खिलाफी के गुनाहों से पल्ला झाड़ते झाड़ते 5 साल निकाल दिए।

मोदी ये कर देगा, मोदी वो कर देगा, मोदी जन लोकपाल बिल लेकर आएगा, सारे भ्रष्ट नेताओं को जेल में डाल देगा, मोदी कश्मीर में आतंकवाद खत्म कर देगा, मोदी अौवेसी को घुटनों पर ला देगा, मोदी पाकिस्तान को धूल चटा देगा और एक के बदले दस सिर लायेगा, मोदी सैनिकों के लिए OROP लागू कर देंगा, मोदी घाटे में चल रहे हर सरकारी संस्थानों को फायदा में ला देगा, मोदी ठेकाकरण प्रथा खत्म कर देगा, मोदी चोर नेताओं को फाँसी पर लटका देगा, मोदी राम मन्दिर बना देगा, मोदी शक्तिमान है, मोदी पुलिस ठीक कर देगा, मोदी उद्योगपतियों की बैंड बजा देगा, मोदी ग़रीबी मिटा देगा, मोदी काला धन लायेगा, मोदी सबको 15-15 लाख रूपया देगा, मोदी फलांना-ढिमकाना, मोदी ये, मोदी वो, मोदीजी एफडीआई नहीं लायेंगे, मोदी दाऊद को घसीट कर लायेगा, मोदी इतना काला धन लायेगा फिर 50 साल तक हमें कोई टेक्स नही देना पडेगा, मोदी ही हर साल 2 करोड नये रोजगार पैदा करेगा, पेट्रोल ₹35 पर आ जायेगा....... इत्यादि, इत्यादि।
                                                     
मैं तो यह बताना चाह रहा हूँ कि मेरी याददाश्त अच्छी है ! एक बार हवाबाजी करके, जुमलेबाजी करके सरकार तो बनाई जा सकती है लेकिन हर बार जनता को मूर्ख नहीं बनाया जा सकता और अंधभक्त नहीं उनको मंदबुद्धि भगत कहा जाता है, जो मोदी से ये सभी सवाल ना करके विपक्ष ने ये किया वो किया का रोना रो रहे है !

एक समय था जब हिटलर ने जर्मनी को इस तरह के सपने दिखा कर संपूर्ण जर्मनी में बिना किसी जातीय भेदभाव व एकता व समृद्धि बहाल करने के लिए केवल 4 साल का वक्त माँगा था। सपने तो क्या पूरे किया और यहूदियों का क्या हस्र किया यह तो इतिहास गवाह है और हिटलर जर्मनी पर 8 साल और राज किया -- यानी कि कुल 12 साल!! वह अपने निर्णय खुद लेता था और खुद ही बयान देता था।

तो आज भारत मे भी सिस्टम का यही हाल है। 2014 में 5 साल का वक्त मांगा था। तब यह नही बोले कि 70 साल की गड़बड़ी 5 साल में नही सुधरी जा सकती। तब तो पूरे देशभर को ख़्वाब दिखाय गए और 5 साल का समय मांगा। एक बार मौके की मांग की गई। यानी कि “अबकी बार मोदी सरकार”। हुआ यह कि हमारे प्रजातांत्रिक संसदीय प्रणाली में cabinet नही केवल एक व्यक्ति ही सारे निर्णय खुद लेतें हैं और दो या कुछ एक व्यक्ति ही हर मंत्रालय से जुड़े समस्याओं पर बयान देते है। यानी कि किसानों की समस्या पर कृषि मंत्री नही बोलता। अधिकाँश लोगो को तो पता ही नही कि कौन है कृषि मंत्री। लोगों को नही मालूम कि कौन है मानव संसाधन मंत्री, स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्री, ग्रामीण विकास मंत्री, पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री, महिला एवं बाल विकास मंत्री, खाद्य प्रसंस्करण मंत्री, सामाजिक न्याय मंत्री, आदिवासी मामले के मंत्री, अल्पसंख्यक मामले के मंत्री इत्त्यादी इत्त्यादी। क्योंकि उठाये गए प्रश्नों का औपचारिक बयान या सफाई उन से सम्बन्धित मंत्रालय के मंत्री नही देते। या मोदी जी या अमित शाह के सिवाये किसी और मंत्रालय से सफाई आती है -- जैसे वित्त मंत्री या विधि मंत्री रक्षा सौदों से जुड़े सवालों का जवाब देते है, कठुआ बलात्कार कांड पर सामाजिक न्याय मंत्री नही वित्त मंत्री बोलते है।

और अब आने वाले 50 साल तक सत्ता में जमे रहने की योजना बनाई जा रही है। हमे मोदी से नही मोदी के झूठ से दिक्कत है। हमे मोदी से नही मोदी के जुमलेबाजी से दिक्कत है। हमे मोदी से नही मोदी के पलटी मारी से दिक्कत है। हमे मोदी से नही मोदी के हर काम मे झुटे श्रय लेने से दिक्कत है।

यदि एफडीआई, आधार, जीएसटी, अंतरिक्ष उपलब्धियों  का श्रेय देश के पिछले 70 साल के पुरुषार्थ से जोड़ते तो मोदी जी आप से हमे कोई दिक्कत न होती। हाँ यदि आप भ्र्ष्टाचारियों पर कार्यवाही करते व काला धन वापस लाते या वादा खिलाफी स्वीकार करते तो हमे आप से कोई दिक्कत नही। दिक्कत है कि आप वादा खिलाफी के बाद भी घमण्ड के नशे में है। आप ने आवाम की आवाज़ को सुनना बन्द कर दिया है। समाज सेवक अकड़ू या घमंडी नही होता। औरों की तरह आप में और आप के पूरे मंत्री मण्डल में किसी भी तरह आवाम को झांसे पर झांसा दे कर सत्ता पर बने रहने की लालसा साफ नज़र आती है।

देश देख रहा है कि क्यो आप बंगाल, ओडिसा, उत्तर-पूर्व राज्यों में अपनी पूरी शक्ति झोंक रहे है। क्योंकि आप मध्य भारत, यूपी, राजस्थान में अपनी हालात से वाक़िफ़ है। आप को पता है अबकी बार NOTA button दबेगा बारम्बार। और यह झटका आपके लिए ज़रूरी है।

Comments

  1. Sir I think no more different between modi and others but change is always good for health and nation

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