फ़िल्म The Kashmir Files

Zee Studios निर्मित और विवेक अग्निहोत्री द्वारा निर्देशित The Kashmir Files फ़िल्म ने सच्चाई तो दिखा दिया……

और सब कुछ पता भी लग गया। जिसको नही पता था वह भी सच्चाई जान गया। बहुत खूब। इस फिल्मकार ने बहुत publicity भी कमा ली। अब तो है सरकार का काम। वह सरकार जो सत्ता में है और मजबूत बहुमत में है। ऐसी सरकार को तो चाहिए कि कश्मीरी पण्डितों की सुरक्षित घर वापसी का प्रबंध करे। "राजनीतिक रोटियां सेंकों और राज करो" की नीति ज़्यादा दिन नही चलने वाली। पिछली सरकारें थी तो निकम्मी। मैं तो कहता हूँ जो कोई भी सरकार होती कश्मीर में हुए इस अमानवीय सोचे समझे, पूर्वनियोजित अंजाम देने वाले हादसे को फिर भी न टाल सकती। इसके बाद भी पिछले 7-8 सालों में कश्मीर घाटी में बहुत हत्याएँ हुई, लोग बेघर हुए। बहुत सैनिक और सुरक्षा बल के जवान मारे गए। हताहत हुए।

मजबूत बहुमत वाली सरकार होने के बावजूद इनके पास कश्मीरी पण्डितों को प्रतिस्थापित करने वाली न कोई योजना और न ही पुनर्वास की कोई रणनिति है। वर्तमान सरकार भी नाकायब रही।

अब तक सरकार के पास कोई योजना ही नही है कि किस तरह कश्मीरी पण्डितों की घर वापसी की योजना बनाई जाय। कोई शुरुआत ही नही हुई कि पण्डितों के कब्जाए सम्पत्तियों की सूची तैय्यार कराकर खाली कराए और ऐसी सम्पत्तियों को सरकार अपने कब्जे में लें। दोषियों पर फौजदारी मुकदमा चलाया जाए और उन पर कड़ी कानूनी कार्यवाही हो। 

सरकार बातों और सनसनी प्रचार पर समय बर्बाद कर रही है। दिल पर हाथ रख के देश को बताए कि क्या यह सरकार कश्मीरी पण्डितों को कश्मीर में, जम्मू या लद्दाख में नही, वापस ला पाएंगी? उनकी खोई हुई विरासत, ज़मीन की भावात्मक लगाव और उनके पुरखों की सम्पत्ति वापस दिला पाएंगी?

पिक्चरें बनाओ, सनसनी फैलाओ पर सरकार से सवाल न करो। अब सब असलीयत जान ही गए हो। फ़िल्म Kashmir File और फिल्मकार ने अपना काम कर दिया है। और बहुत अच्छा किया है। तो अब सरकार पर भी कार्यवाही का दबाव बनाओ। सवाल करो। कश्मीरी पण्डित मनमारा हो गए है, उदासीन हो गए हैं और आशाहीन हो गए हैं। कश्मीरी पण्डितों को सुरक्षित घर वापसी चाहिए, भावात्मक प्रचार के झटके नही। 

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