कट्टरवाद -- नफरत और हिंसा की फैक्ट्री

वाह क्या मानसिकता है!! एक पूरे कौम को खलनायक बना दिया जाता है जैसे कि वह लोग इस देश के नागरिक ही नही। यह देश सब का है किसी एक का नही। कानून वाला देश है। संविधान वाला देश है। उनका क्या किया जाय जो भारत को गोडसे जैसा देश बनाने का प्रचार करने वाले ढोंगी, गांघी पर फूल माला चड़ाते हैं??


जिस तरह नफरती आग और हिंसा का इस्तेमाल अब खुलेआम शुरू हो चुका है और जिस तरह  नफरती अफीम चटाई गई जनता बेख़ौफ़ कैमरे के सामने एक खास कौम के खिलाफ हिंसात्मक और भड़काऊ राय देते पाए जा रहे है यह स्तिथि ज़्यादा दिन नही रहने वाली। मैं बहुत आशावान हुँ। आवाम बहुत जल्द इसको समझेगी और समझना शुरू कर चुकी है की जो कुछ बाहर हो रहा है, वह उनके घर में कभी भी दस्तक दे सकती है!!! समय आएगा जब यही नफरती आग फैलाने वाले लोग भागते फिरेंगे। त्रस्त आवाम को पगलाने में व बेकाबू होने में ज़्यादा वक्त नही लगता। संविधान का गला घोंट कर मानव अधिकार को ताक पर रख कर लोकतन्त्र का अपमान अब ज़्यादा दिन नही चलने वाला। इसको इशारों इशारों में अमरीकी राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति ने बखूबी सभ्य भाषा मे मोदी को बता भी दिया है की शाषन तन्त्र व प्रजातन्त्र संविधान और मानव अधिकार के मूल्यों के सम्मान से ही बड़ा, मजबूत और महान होता है। समय रहते नफरत फैलाने वाले, चाहे वह किसी कौम का क्यों न हो, जितनी जल्द समझ जाय तो बेहतर। हम जिस महान विद्यालयों में पड़े हैं हमें साम्प्रदायिक जाहिल बनने की शिक्षा नही दी गई। हमे हमारे गुरुओं ने हमारे संविधान को हमारे लोकतंत्र को वेद, गीता, रामायण, कुरान, बाईबल  से नवाज़ा है। अपराध करने वालों की कोई जात या कौम नही होती। 


अपराधी सिर्फ अपराधी ही होता है। हमारे संविधान व कानून व्यवस्था में दोषियों से निपटने के लिए सब प्रावधान है। नफरती आग फैलाने वालों के लिए जंगल कानून का कोई स्थान नही। एक जिम्मेदार शहरी होने के नाते हमारा फ़र्ज़ यह बनता है कि हम इस तरह के नफरती trolls का पुरजोर विरोध करे और यह मांग करें कि ऐसे नापाक नफरती तत्वों के खिलाफ sedition का case बनाया जाये, निर्दोषो पर नही। समाज मे ऐसे साम्प्रदायिक और कट्टरवादी सोच के लोगों के कारण ही नफरत की चरम आग फैलाई जाती है जिस कारण गोरखपुर में पुलिस द्वारा मनीष गुप्ता की निर्मम हत्या और सिपजर आसाम में पुलिस द्वारा ही मारे गए मोइनुल हक़ के लाश पर फोटोग्राफर बिनोय बानिया का उन्मादित होकर अमानवीय खुशी का इजहार करते हुये कूदना, नोएडा में अख़लाक़ और बुलंदशहर में इंस्पेक्टर सुबोध सिंह की हत्या और लखीमपुर खेरी में किसानों को SUV के तले बेरहमी से रौद कर मौत के घाट उतारने के कारण बनते है। हम आने वाले युवा पीढ़ी व अपने बच्चों को अपने उम्र और शैक्षिक योग्यता का क्या मिसाल दे रहे है? सोचिये जरा।

Comments

Popular posts from this blog

G20 Summit 2023 and challenges to India’s Presidency

Russia-Ukraine Conflict

BJP PROMOTING CONSPICUOUS COMMUNAL NARRATIVE